Friday 30 September 2016

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OM SHIV GORAKSHA NATH JI

  1. आप सभी को भगवान शिव के पावन पर्व महाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये तथा आपके स्वस्थ्य एवं दुर्घायु की कामने करते हुये आपकी सफलता की शुभ ईच्छा करते है। 

  2. OM SHIV GORAKSHA 

  3. जय शिव...जय महाकाल...जय शिव गोरक्ष....
  4. आओ चले इनका सुमरण करे।
  5. आओ चले इनका वन्दन करे।
  6. आओ चले इनका पूजन करे।
  7. '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
  8. "अवधूता अवधूता शिव गोरक्ष योगी अवधूता शिव पुता शिव पुता 
  9. श्री गोरक्ष योगी अवधूता अवधूता अवधूता
  10. शिव गोरक्ष योगी अवधूता"
  11. **गोरख शाबर गायत्री मन्त्र--
  12. सत नमो आदेश ! गुरूजी को आदेश ! ॐ गुरूजी !
  13. अलख निरंजन कौन स्वरूपी बोलिए !
  14. अलख निरंजन ज्योति स्वरूपी बोलिए !
  15. ओमकारे शिवरूपी, संख्या ने साधरुपी ,
  16. मध्याने हंस रुपी , हंस परमहंस दो अक्षर,
  17. गुरु तो गोरक्ष, काया तो गायत्री ॐ ब्रह्मा,
  18. सोहं शक्ति, शून्य माता ,
  19. अविगत पिता , अभय पंथ , अचल पदवी ,
  20. निरंजन गोत्र , विहंगम जाति ,
  21. असंख्य प्रवर, अनन्त शाखा, सूक्ष्म वेद ,
  22. आत्मज्ञानी, ब्रह्मज्ञानी -
  23. श्री ॐ गो गोरक्षनाथाय विदमहे -शून्य पुत्राय धीमही, तन्नो गोरक्ष निरंजन : प्रचोदयात !
  24. इतना गोरक्ष गायत्री जाप सम्पूर्ण भया ! श्री नाथ जी गुरु जी को आदेश ! आदेश !
  25. || विधि ||
  26. इस साधना को शुक्ल पक्ष के रविवार से शुरू करे और साधना के दौरान घी का दिया जलता रहना चाहिए !
  27. प्रतिदिन इस मंत्र का १०८ बार जप करे , पहले दिन रोट लगायें और साधना में जितने भी रविवार आयें उसमे रोट लगाना न भूले ! रोट की 11 आहुति अग्नि में इस मंत्र द्वारा दें , जप के दौरान अग्नि पर गुग्गल सुलगती रहनी चाहिए !
  28. २२वे दिन दोबारा रोट दे और 11 मीटर भगवा कपडा किसी योगी को दान में दें अथवा किसी धूने पर चढ़ा दें ! साधना के दौरान आसन और कीलन मंत्र अवश्य पढ़ें ! साधना गुरु आज्ञा से ही करें !
  29. "!!श्री गुरु गोरक्षनाथपूजा विधि !!"
  30. 1. सर्वप्रथम श्री नाथजी का दीपक जगाया जाता है! श्री नाथ जी को ज्योति-स्वरूप दीपक नाथजी के स्वरूप में प्रणामकिया जाता है !
  31. 2. श्रीनाथजी की पूजा का संकल्प किया जाता है अपना नाम, गोत्र, वार, माह, जगह आदि बोलके !
  32. 3. श्रीनाथजी को गंगा जलसे स्नान करवाया जाता है! श्री नाथ जी की चरण पादुका को भी गंगा जल से स्नान करवाया जाता है!
  33. 4. श्रीनाथजी को पंचामृतसे स्नान करवाया जाता है! श्री नाथ जी की चरण पादुका को भी पंचामृत से स्नान करवाया जाता है!
  34. 5. श्रीनाथजी को फिर से गंगा जलसे स्नान करवाया जाताहै! श्री नाथजी की चरण पादुका को भी गंगा जलसे स्नान करवाया जाता है !
  35. 6. श्रीनाथजी को गंगा जलसे स्नानकरवाया जाता है स्वस्ति वचनपाठ करतेहुए!
  36. 7. श्रीनाथजी को वस्त्र पहनाया जाता है !
  37. 8. श्रीनाथजी को जन्यू पहनाया जाता है जिसे यगोपवीत भी कहते है लेकिन जन्यू तीनधागों का होना चाहिए जो ब्रह्मचारी को पहनाया जाता है !
  38. 9. श्रीनाथजी को सफेद चंदन से त्रिकूट तिलक किया जाताहै!
  39. 10.श्री नाथजी को अक्षत अर्पितकिया जाता है !
  40. 11.श्री नाथजी को गंध, कालेतिल, मधुइत्यादि अर्पित किए जातेहैं!
  41. 12.श्री नाथजी को सफेद और पीले पुष्पों की माला पहनाई जाती है!
  42. 13.श्री नाथजी को सफेद और पीले पुष्पअर्पित किए जातेहैं!
  43. 14.श्री नाथजी को दीपक और धूप दिखाई जाती है !
  44. 15.श्री नाथजी को आचमनी अर्पित की जाती है जिससे श्री नाथ जी अपने हाथों और मुख को धो लें !
  45. 16.श्री नाथजी को पंचमेवा भोग केरूपमें अर्पित किया जाताहै!
  46. 17.श्री नाथजी को खीरभोग के रूपमें अर्पित किया जाताहै!
  47. 18.श्री नाथजी को ऋतुफल (केले)भोग के रूप में अर्पित किया जाता है!
  48. 19.श्री नाथजी को फिरसे आचमनी अर्पित की जाती है जिससे श्री नाथजीअपने हाथोंऔर मुखको धो लें पॅंच भोगके पश्चात !
  49. 20.श्री नाथजी को सुपारी, लोंग और ईलाएची अर्पित की जाती है!
  50. 21.श्री नाथजी को दक्षिणा अर्पित की जातीहै !
  51. 22.श्री नाथजी के आभूषण त्रिशूल, चिमटा, खप्पर, डमरू, कमंडल इत्यादि का सफेद चंदन से तिलक किया जाताहै, अक्षत औरपुष्प आभूषणपे अर्पितभी किए जातेहैं!
  52. 23.श्री नाथजी को विभूति से स्नानकरवाया जाता है !
  53. 24.श्री नाथजी केत्रिशूलको भी विभूति से स्नान करवायाजाता है!
  54. 25.श्री नाथजी का त्रिशूल जहाँ खड़ा हो वहाँ चिलम जगाई जाती है !
  55. 26.श्री नाथजी को गुरु केस्वरूपमें प्रणामकिया जाता है !
  56. 27.श्री नाथजी को भगवान शिव के स्वरूपमेंप्रणाम किया जाता है !शिवलिंग पेरुद्र अभिषेक किया जाता है !
  57. 28.श्री नाथजी को भगवान विष्णु के स्वरूपमें प्रणाम किया जाता है !शालिग्राम कीपूजा की जाती है !
  58. 29.श्री नाथजी को परम पिता ब्रह्मा केस्वरूपमें प्रणाम किया जाता है !
  59. 30.श्री नाथजी केपरम प्रिया स्तोत्रजो भगवानश्री कृष्णा द्वारा कृत है उसकातीनबारपाठ किया जाता है !
  60. 31.श्री नाथजी को विभिन्न स्वरूपों में प्रणाम किया जाताहै!
  61. 32.श्री नाथजी की आरतीधूप से की जाती है !
  62. 33.श्री नाथजी की आरतीकपूरसे कीजाती है!
  63. 34.श्री नाथजी की आरतीघी के दीपकसे की जाती है!
  64. 35.श्री नाथजी का त्रिकूट तिलकविभूति सेकियाजाता है !
  65. 36.श्री नाथजी की चामरडुलाई जाती है !
  66. 37.श्री नाथजी केमोरपंखहिलाए जातेहैं!
  67. 38.शिव तांडव स्तोत्रके पहले तीन श्लोकों को बोला जाताहै!
  68. 39.श्री नाथजी को नॅवनाथ औरचौरासी सिद्धोंके स्वरूपमेंप्रणामकिया जाता है !
  69. 40.श्री नाथजी का आदेश लिया जाता है !
  70. !! अलखनिरंजन!!
  71. !! ॐशिवगोरक्षनारायण !! !! ॐश्री श्री १०८हट हट योगचार्या शंभुजाति गुरु गोरक्षनाथ नमो नमः !!
  72. गुरु गोरक्षनाथजी की संध्या आरती
  73. ॐगुरूजी शिव जय जय गोरक्ष देवा।श्री अवधू हरहर गोरक्ष देवा॥ सुर नर मुनि जनध्यावतसुरनरमुनि जनसेवत। सिद्धकरेसब सेवा श्री अवधूसंत करे सबसेवा।शिवजय जय गोरक्ष देवा॥ १॥
  74. ॐगुरूजी योगयुगती कर जानत मानत ब्रह्म ज्ञानी।श्री अवधूमानत सर्व ज्ञानी। सिद्धशिरोमणि रजत संत शिरोमणिसाजत। गोरक्ष गुनज्ञानी श्री अवधू गोरक्षसर्व ज्ञानी।शिव जय जय गोरक्ष देवा॥ २॥
  75. ॐगुरूजी ज्ञान ध्यानके धरी गुरुसब केहोहितकारी।श्री अवधूसब केहोसुखकारी। गोइन्द्रियों केरक्षकसर्वइन्द्रियों के पालक। रखतसुध साडी श्री अवधूरखतसुधसारी। शिव जय जय गोरक्ष देवा॥ ३॥
  76. ॐगुर्जी रमतेश्री राम सकल युग माही चाया है नाही।श्री अवधूमाया है नाही। घाट घाट केगोरक्ष व्यापे सर्व घाट श्री नाथ जी विराजत। सो लक्ष मनमाहि श्री अवधू सो लक्ष दिलमाहि॥ शिव जय जय गोरक्ष देवा॥ ४॥
  77. ॐगुरूजी भस्मी गुरुलसत सरजनी है अंगे।श्री अवधू जननी है संगे। वेडउचारेसो जानतयोग विचारे सो मानत। योगी गुरुबहुरंगा श्री अवधू बाले गोरक्षसर्वसंगा।शिव जय जय गोरक्ष देवा॥ ५॥
  78. ॐगुरूजी कंठ विराजतसेली औरशृंगी जतमत सुखी वेली। श्री अवधू जतसत सुखवेली। भगवा कंथा सोहत गेरुवा अंचलसोहत ज्ञानरतनथैली। श्री अवधू योगयुगती झोली। शिवजय जयगोरक्ष देवा॥ ६॥
  79. ॐगुरूजी कानो में कुंडलराजत साजत रवि चंद्रमा।श्री अवधूसोहतमस्तक चंद्रमा। बजट शृंगी नादा गुरुबाजत अनहद नादा गुरुभाजत दुःख द्वंदा। श्री अवधू नाशत सर्वसंशय।शिव जय जय गोरक्षदेवा॥ ७॥
  80. ॐगुरुजी निद्रा मरो गुरु कल संहारो संकट केहो वेरी। श्री अवधूदुष्टन के हो वेरी। करो कृपा संतानपरगुरुदया पालो भक्तनपरशरणागत तुम्हारी।शिव जयजय गोरक्षदेवा॥ ८॥
  81. ॐगुरुजी इतनी श्रीनाथजी की संध्या आरती।निष दिनजो गावे - श्री अवधूसर्वदिन रट गावे। वरनी राजा रामचंद्रस्वामी गुरु जपे राजा रामचंद्र योगी। मनवांछित फलपावेश्री अवधू सुख संपत्ति फलपावे।शिव जय जय गोरक्ष देवा॥ ९

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