Saturday 18 March 2017

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विवाह मंत्र विधि और अर्थ

शादी या पाणिग्रहण हमारी संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र घटनाओं में से एक है. शादी का असली मतलब वेद में लिखा गया हैं . वेद के कर्मकाण्ड में विवाह के विभिन्न प्रकार, रस्मोंा-रिवाज का कैसे पालन करें, श्लोकों का पाठ कैसे करें और इन सभी का सही अर्थ क्या होता है ये लिखा गया हैं. आजकल के विवाह समारोहों में श्लोकों और मंत्रों को पंडित इन स्रोतों से पढ़ते हैं.

हिंदू विवाह मंत्र
हिंदू विवाह सूर्या के साथ सोमा की शादी पर आधारित है और ऋग्वेद में ऋषि सूर्या द्वारा सुनाया गया है. यह एक कल्पना की शादी हो सकती है या सिद्ध पुरुष की खुद की शादी हो सकती हैं.

हिंदू विवाह का महत्व
लगभग सभी साहित्यिक किताबों में जैसे की रामायण, महाभारत , पुराण, कालिदास आदि में ,देवी- देवताओं ,महान प्राणियों, राजा-रानी की शादी समारोहों का ज़िक्र बहुत सुंदर और विस्तार से लिखा गया हैं. यदि जीवन में पूजा -पाठ, वैदिक अनुष्ठानों और श्लोकों का सही रूप से पालन किया जाए तो हर विवाह सफल होगा और कभी भी पति- पत्नी का रिश्ता नहीं टूटेगा.

हिंदू विवाह मंत्रों का उपयोग
कोई भी हिंदू विवाह समारोह एक जैसा नहीं होता हैं. हर जगह और हर राज्य आदि में अलग-अलग तरह के विवाह होते है और उनके रीति -रिवाज़ भी अलग-अलग होते हैं. विवाह के अलग-अलग रूपों के पीछे अलग-अलग परंपराओं , स्थानीय परंपराओं, शादी करने वाले परिवारों के विचार के आधार पर किया जाता है. कुछ रीति- रिवाज़ एक जैसे होते है बस उन्हें करने का तरीका अलग होता हैं. भारतीय हिंदू शादी समारोह में कुछ रीति -रिवाज़ सभी करते है जो की इस तरह से हैं.

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